
रायसेन जिला मुख्यालय पर आदिम जाति कल्याण विभाग कन्या आवासीय शिक्षा परिसर प्रारंभ करने जा रहा है। इसके लिए विदिशा-भोपाल बायपास रोड पर बारह एकड़ भूमि में लगभग २५ करोड़ रुपए की लागत से बिल्डिगं बनकर तैयार हो चुकी है। जिसमें स्कूल भवन, छात्रावास सहित स्टाफ क्वार्टर का निर्माण कराया गया है। निर्माण कार्य पूर्ण हुए करीब एक वर्ष से ज्यादा और सीएम शिवराज सिंह चौहान के हाथों उक्त भवन का लोकार्पण हुए भी करीब दो माह से अधिक समय बीत गया। मगर आवासीय परिसर का भवन अब तक आदिम जाति कल्याण विभाग अपने अधीन नहीं ले सका। बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपए की लागत वाले नए भवन में हैंडओवर से पहले ही कई तरह की कमियां सामने आ चुकीं। इस कारण विभाग ने लोक निर्माण विभाग की इकाई पीआईयू से अपने हैंडओवर लेना उचित नहीं समझा।
हालांकि दोनों विभागों के अधिकारी कई बार उक्त परिसर का निरीक्षण कर चुके। भवन हस्तांतरण को लेकर फाइल भी दौड़ रही, मगर बिल्डिगं की कमियों को पूरा करवाने में पीआईयू के अधिकारी सफल नहीं हो पाए। लोकार्पण होने के बाद भी अभी मुख्य पर निर्माण कार्य चल रहा है। जबकि अधिकारियों ने वाह-वाही लूटने की खातिर आधे-अधूरे और गुणवत्ताहीन निर्माण वाले भवन को सीएम के हाथों लोकार्पण करा दिया।
मरम्मत के लिए कर चुके खानापूर्ति
छात्रावास भवन की दीवारों में आई दरारों की मरम्मत का काम करीब तीन पहले किया गया था। मगर अब फिर से दरारें नजर आने लगी, हालांकि सीमेंट और पुट्टी भरकर उसके ऊपर रंग-रोगन भी कर दिया। लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता सही नहीं होने से दीवार की दरार छिप नहीं पा रही। इसी तरह की स्थिति स्कूल भवन परिसर के बाहर बनी दीवार में फाउंडेशन के नजदीक आ रही। यहां पर भी फाउंडेशन का और दीवार के बीच का जोड़ अलग दिख रहा। छात्रावास भवन की छत पर भी जगह-जगह क्रेक्स दिखाई दे रहे, जिन्हें दबाने के लिए सीमेंट से भरा गया।
स्कूल में कक्षाएं कब लगेंगी
अब नया शैक्षणिक सत्र भी प्रारंभ हो चुका है। उक्त संस्था में प्रवेश प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई। ऐसे में सवाल उठ रहा कि प्रवेश लेने वाली छात्राओं कहां पढ़ाएंगे और उनके रहने की व्यवस्था विभाग के अधिकारी कहां करेंगे। क्योंकि पीआईयू के जिम्मेदार अधिकारी, साइट इंजीनियर ने निर्माण कार्य के दौरान गुणवत्ता की मॉनीटरिगं करना मुनासिब नहीं समझा। जिला मुख्यालय को प्रदेश स्तर से मिली करोड़ों रुपए के भवन और संस्था की सौगात पर भी प्रश्र-चिन्ह लगा दिया।
लगा है जंगली क्षेत्र, बाउंड्री की ऊंचाई कम
कन्या शिक्षा आवासीय परिसर के पिछले हिस्सा पूरी तरह वन क्षेत्र के नजदीक है। इसके आसपास भी खेत और सुनसान क्षेत्र है, इसी क्षेत्र में अक्सर तेंदुए की आमद देखी जाती है। इसके बाद भी ठेकेदार और पीआईयू के अफसरों ने चारों तरफ से बाउंड्रीवाल की ऊंचाई बढ़ाना जरुरी नहीं समझा। जबकि परिसर के पिछले भाग में कर्मचारियों के आवास बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि वन विभाग ने भी इस पूरे क्षेत्र को तेंदुआ विचरण क्षेत्र घोषित कर आमजन को सावधानी बरतने की सलाह दी है। मगर चार वर्ष पहले तत्कालीन स्थानीय विधायक एवं पूर्व वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के दखल के चलते जिला प्रशासन ने यही भूमि कन्या आवासीय परिसर के लिए आवंटित की थी। अब यहां तेंदुए की दस्तक के चलते हर पल खतरा मंडरा रहा।
इनका कहना
भवन निर्माण सहित परिसर में कुछ खामियां थीं, जिन्हें पूरा करवा लिया गया है। शीघ्र ही भवन का हस्तांतरण भी करवा लिया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
सरिता नायक, डीओ आदिम जाति कल्याण विभाग रायसेन।